तेरी बातें बड़ी सुहानी
कभी सुनी न येसी कहानी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
द्वारिका में राधा गोपी
घट घट घूमे वो तो जोगी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
श्याम से उसने लगन लगाई
सब के में जोत जगाई
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
धडकन बोले गिरधर- गिरधर
मन में समय कितने मंजर
कभी सुनी न येसी कहानी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
द्वारिका में राधा गोपी
घट घट घूमे वो तो जोगी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
श्याम से उसने लगन लगाई
सब के में जोत जगाई
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
धडकन बोले गिरधर- गिरधर
मन में समय कितने मंजर
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
ऐसी भक्ति, ऐसी पूजा
देखा नही है कोई दूजा
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
जप कर तेरे नाम की माला
रास का हाला विश का प्याला
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
दर्शन दर्शन अँखियाँ तरसे
गिरधर तेरी मेहर बरसे
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
1 comment:
धडकन बोले गिरधर- गिरधर
मन में समय कितने मंजर सुंदर पक्तियां
कृपया पधारें http://manoria.blogspot.com kanjiswami.blog.co.in
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