Saturday, August 30, 2008

किसी दूसरे के बारे में लिखना या तारीफ़ करना हो तो अच्छा लगता है। लेकिन बात जब अपने बारे में लिखने की हो तो संकोच होता है। क्योंकि आत्म प्रवंचना करना ठीक मालूम नही होता। फिर भी अब जब ब्लॉग की यही परम्परा है तो यही सही।
कहाँ से शुरू करू

Saturday, August 23, 2008

कृष्ण दीवानी..............


तेरी बातें बड़ी सुहानी
कभी सुनी न येसी कहानी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!

द्वारिका में राधा गोपी
घट घट घूमे वो तो जोगी
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!

श्याम से उसने लगन लगाई
सब के में जोत जगाई
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!

धडकन बोले गिरधर- गिरधर
मन में समय कितने मंजर

भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!


ऐसी भक्ति, ऐसी पूजा
देखा नही है कोई दूजा
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!

जप कर तेरे नाम की माला
रास का हाला विश का प्याला
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!
दर्शन दर्शन अँखियाँ तरसे
गिरधर तेरी मेहर बरसे
भई बेगानी, कृष्ण दीवानी!

Thursday, August 21, 2008

अमरनाथ


हिंदू एक संस्कृति और विचार है। हर भारतीय सनातन धर्मावलम्बी है। रामसेतु और अमरनाथ पाकीजा जगह हैं। दोनों को लेकर जो विवाद पैदा किए गए हैं उससे मन बहुत आहत हुआ है।

ये वादियों में किसका हाथ है
मान जाओ ये अमरनाथ है
हर मुस्लिम साथ साथ है
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान।

Thursday, August 14, 2008

bapu


mahatma gandhi
mein seene pe dagh ik liye ja raraa hoon.
ahinsa ki qeemat diye ja rahaa hoon.
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hinsa sare desh mein kar rahi parwas.
bapu tere desh mein tujhe mila vanvaas.